भारत मे कुल 3600 बड़े कत्लखाने है जिनके पास पशुओ को काटने का लाईसेंस है !! जो सरकार ने दे रखा है ! इसके इलावा 35000 से अधिक छोटे मोटे कत्लखाने है जो गैर कानूनी ढंग से चल रहे है ! कोई कुछ पूछने वाला नहीं ! हर साल 4 करोड़ पशुओ का कत्ल किया जाता है ! जिसमे गाय ,भैंस ,सूअर,बकरा ,बकरी ,ऊंट,आदि शामिल है ! मुर्गीया कितनी काटी जाती है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है !
गाय का कतल होने के बाद मांस उत्पन्न होता है और मांसाहारी लोग उसे भरपूर खाते है | भारत के 20% लोग मांसाहारी है जो रोज मांस खाते है और सब तरह का मांस खाते है | मांस के इलावा दूसरी जो चीज प्राप्त की जाती है वो है तेल ! उसे tellow कहते है जैसे गाय के मांस से जो तेल निकलता है उसे beef tellow और सूअर की मांस से जो तेल निकलता है उसे pork tellow कहते है | इस तेल का सबसे ज़्यादातर उपयोग चेहरे में लगाने वाली क्रीम बनाने में होता है जैसे Fair & Lovely , Ponds , Emami इत्यादि | ये तेल क्रीम बनाने वाली कंपनियो द्वारा खरीदा जाता है ! और जैसा कि आप जानते है मद्रास high court मे श्री राजीव दीक्षित जी ने विदेशी कंपनी fair and lovely के खिलाफ case जीता था जिसमे कंपनी ने खुद माना था कि हम इस fair and lovely मे सूअर की चर्बी का तेल मिलाते हैं !
आप यहाँ click कर देख सकते है !
http://www.youtube.com/watch?v=tzdbFhKkxoI&feature=plcp
तो क्त्ल्खानों मे मांस और तेल के बाद जानवरो का खून निकाला जाता है ! कसाई गाय और दूसरे पशुओ को पहले उल्टा रस्सी से टांग देते हैं फिर तेज धार वाले चाकू से उनकी गर्दन पर वार किया जाता है और एक दम से खून बहने लगता है और नीचे एक ड्रम रखा होता है जिसने खून इकठा किया जाता है यहाँ click कर देख सकते हैं !
http://www.youtube.com/watch?v=tgQuXz5kVHc&feature=plcp
तो खून का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता
है अँग्रेजी दवा (एलोपेथि दवा)
बनाने मे ! गाय के शरीर से निकला हुआ
खून ,मछ्ली के शरीर से निकला हुआ खून बैल ,बछड़ा बछड़ी के शरीर
से निकला हुआ खून से जो एक दवा बनाई जाती है उसका नाम है dexorange ! बहुत
ही popular दवा है और डाक्टर इसको खून की कमी के लिए महिलाओ को लिखते
है खासकर जब वो गर्भावस्था मे होती है क्यूंकि तब महिलाओ मे खून की कमी
आ जाती है और डाक्टर उनको जानवरो के खून से बनी दवा लिखते है क्यूंकि
उनको दवा कंपनियो से बहुत भारी कमीशन मिलता है !
इसके इलावा रक्त का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर lipstick बनाने मे होता है ! इसके बाद रक्त प्रयोग चाय बनाने मे बहुत सी कंपनिया करती है ! अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है ! और चाय के पोधे का size उतना ही होता है जितना गेहूं के पोधे का होता है ! उसमे पत्तिया होती है उनको तोड़ा जाता है और फिर उसे सुखाते हैं ! तो पत्तियों को सूखाकर पैकेट मे बंद कर बेचा जाता हैं !
और पतितयो के नीचे का जो हिस्सा टूट कर गिरता है जिसे डेंटरल कहते हैं, आखिरी हिस्सा !लेकिन ये चाय नहीं है ! चाय तो वो ऊपर की पत्ती है ! तो फिर क्या करते है इसको चाय जैसा बनाया जाता है ! अगर हम उस नीचले हिस्से को सूखा कर पानी मे डाले तो चाय जैसा रंग नहीं आता ! तो ये विदेशी कपनिया brookbond,ipton,आदि जानवरो के शरीर से निकला हुआ खून को इसमे मिलाकर सूखा कर डिब्बे मे बंद कर बेचती है ! तकनीकी भाषा मे इसे tea dust कहते है !इसके इलवा कुछ कंपनिया nail polish बनाने में भी इसका प्रयोग करती है !!
मांस,तेल ,खून ,के बाद क्त्ल्खानों मे पशुओ कि हड्डीया निकलती है ! और इसका प्रयोग toothpaste बनाने वाली कंपनिया करती है colgate,close up,pepsodent cibaca,आदि आदि ! सबसे पहले जानवरो कि हड्डियों को इकठा किया जाता है ! उसे सुखाया जाता है फिर एक मशीन आती है bone crusher ! इसमे इसको डालकर इसका पाउडर बनाया जाता है और कंपनियो को बेचा जाता है ! shaving cream बनाने वाली काफी कंपनिया भी इसका प्रयोग करती हैं !
और आजकल इन हड्डियों का प्रयोग जो होने लगा है टेल्कम powder बनाने मे ! नहाने के बाद लोग लागाते हैं उसमे इसका प्रयोग होता है ! क्यूंकि ये थोड़ा सस्ता पड़ता है ! वैसे टेल्कम powder पथर से बनता है! और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है और गाय की हड्डियों का powder 25 से 30 रुपए मिल जाता है !! इस लिए कंपनिया हड्डियों का प्रयोग करती हैं !
इसके बाद गायकी ऊपर की जो चमड़ी है उसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है cricket के ball बनाने मे ! लाल रंग की ball होती है आज कल सफ़ेद रंग मे भी आती है ! जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है !गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग ज्यादा होता है ball बनाने मे ! दूसरी एक ball होती है foot ball ! cricket ball तो छोटी होती है ! पर foot ball बड़ी होती है इसमे और ज्यादा प्रयोग होता है गाय के चमड़े का !!
आजकल और एक उद्योग मे इस चमड़े का बहुत प्रयोग हो रहा है !जूते चप्पल बनाने मे ! अगर आप बाजार से कोई ऐसा जूता चप्पल खरीदते है ! जो चमड़े का है और बहुत ही soft है तो वो 100 % गाय के बछड़े के चमड़े का बना है ! और अगर hard है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का ! इसके इलवा चमड़े के प्रयोग पर्स ,बेल्ट जो बांधते है ! इसके इलवा आजकल सजावट के समान ने इन का प्रयोग किया जाता है !!
___________________
तो गाय और गाय जैसे जानवरो आदि का कत्ल होता है ! तो 5 वस्तुए निकलती है !!
1) मांस निकला ------जो मांसाहारी लोग खाते है !
2)चर्बी का तेल ----जो cosmatic बनाने मे प्रयोग हुआ !
3) खून निकाला ------ जो अँग्रेजी एलोपेथी दवाइया ,चाय बनाने मे ! nailpolish lipstick मे !
4)हडडिया निकली ------ इसका प्रयोग toothpaste, tooth powder,shiving cream मे !aur टेलकम powder
5) चमड़ा निकला !------ इसका प्रयोग cricket ball,foot ball जूते, चप्पल, बैग ,belt आदि !
जैसा ऊपर बताया 35000 क्तलखाने है और 4 करोड़ गाय ,भैंस ,बछड़ा ,बकरी ,ऊंट आदि काटे जाते है ! तो इनसे जितना मांस उतपन होता है वो बिकता है ! चर्बी का तेल बिकता है !खून बिकता है हडडिया और चमड़ा बिकता है !! तो निकलने वाली इन पाँच वस्तुओ का भरपूर प्रयोग है और एक बहुत बड़ा बाजार है इस देश मे!!
____________________________________
इसके इलवा गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग है ! उनका भी बहुत प्रयोग होता है !जैसे गाय मे बड़ी आंत होती है !! जैसे हमारे शरीर मे होती है ! वैसे ही गाय के शरीर मे होती है ! तो जब गाय को काटा जाता है ! तो बड़ी आंत अलग से निकाली जाती है ! और इसको पीस कर gelatin बनाई जाती है !जिसका बहुत जादा प्रयोग आइसक्रीम, चोकोलेट,आदि में होता है
इसके इलवा Maggi . Pizza , Burger , Hotdog , Chawmin के base material बनाने मे भरपूर होता है | और एक jelly आती red orange color की उसमे gelatin का बहुत प्रयोग होता है !!आजकल जिलेटिन का उपियोग साबूदाना में भी होने लगा है | जो हम उपवास मे खाते है !
_____________________________
तो ये सब वस्तुओ जो जानवरो के कत्ल के बाद बनाई जाती है ! और हम जाने अनजाने मे इन का प्रयोग अपने जीवन मे कर रहे है ! और कुछ लोग आपने आपको १००% शाकाहारी कहते है. कहीं न कहीं इस मांस का प्रयोग कर रहे है ! और अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे है !
तो आप इन सबसे बचे ! और अपना धर्म भ्रष्ट होने से बचाये !एक बात हमेशा याद रखे की टीवी पर देखाये जाने वाले विज्ञापन को देख कर अपने घर मे कोई वस्तु न लाये ! इनमे ही सबसे बड़ा धोखा है !
जैसे चाकलेट का विगयापन आता है केडबरी nestle आदि !! coke pepsi का आता है ! fair and lovely आदि क्रीमे ! colgate closeup pepsodent आदि आदि toothpaste !!
तो आप अपने दिमाग से काम ले इन सब चीजों से बचे !! क्यूंकि विज्ञापन उनी वस्तुओ का दिखाया जाता है जिनमे कोई गुणबत्ता नहीं होती !! देशी गाय का घी बिना विज्ञापन के बिकता है नीम का दातुन बिना विज्ञापन के बिकता है गन्ने का रस बिना विज्ञापन के बिकता है !! विज्ञापन का सिद्धांत है गंजे आदमी को भी कंघा बेच दो !! एक ही बात को बार-बार,बार-बार दिखाकर आपका brain wash करना !! ताकि आप सुन सुन कर एक दिन उसे अपने घर मे उठा लाये !!
और हमे अब इस देश मे ऐसी सरकार लानी है जो पहला काम यही करे कि अंग्रेज़ो के समय से चल रहे ये सारे क्त्लखानों को बंद करने का बिल संसद मे लाये और इसे पास करे !!
इसके इलावा रक्त का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर lipstick बनाने मे होता है ! इसके बाद रक्त प्रयोग चाय बनाने मे बहुत सी कंपनिया करती है ! अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है ! और चाय के पोधे का size उतना ही होता है जितना गेहूं के पोधे का होता है ! उसमे पत्तिया होती है उनको तोड़ा जाता है और फिर उसे सुखाते हैं ! तो पत्तियों को सूखाकर पैकेट मे बंद कर बेचा जाता हैं !
और पतितयो के नीचे का जो हिस्सा टूट कर गिरता है जिसे डेंटरल कहते हैं, आखिरी हिस्सा !लेकिन ये चाय नहीं है ! चाय तो वो ऊपर की पत्ती है ! तो फिर क्या करते है इसको चाय जैसा बनाया जाता है ! अगर हम उस नीचले हिस्से को सूखा कर पानी मे डाले तो चाय जैसा रंग नहीं आता ! तो ये विदेशी कपनिया brookbond,ipton,आदि जानवरो के शरीर से निकला हुआ खून को इसमे मिलाकर सूखा कर डिब्बे मे बंद कर बेचती है ! तकनीकी भाषा मे इसे tea dust कहते है !इसके इलवा कुछ कंपनिया nail polish बनाने में भी इसका प्रयोग करती है !!
मांस,तेल ,खून ,के बाद क्त्ल्खानों मे पशुओ कि हड्डीया निकलती है ! और इसका प्रयोग toothpaste बनाने वाली कंपनिया करती है colgate,close up,pepsodent cibaca,आदि आदि ! सबसे पहले जानवरो कि हड्डियों को इकठा किया जाता है ! उसे सुखाया जाता है फिर एक मशीन आती है bone crusher ! इसमे इसको डालकर इसका पाउडर बनाया जाता है और कंपनियो को बेचा जाता है ! shaving cream बनाने वाली काफी कंपनिया भी इसका प्रयोग करती हैं !
और आजकल इन हड्डियों का प्रयोग जो होने लगा है टेल्कम powder बनाने मे ! नहाने के बाद लोग लागाते हैं उसमे इसका प्रयोग होता है ! क्यूंकि ये थोड़ा सस्ता पड़ता है ! वैसे टेल्कम powder पथर से बनता है! और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है और गाय की हड्डियों का powder 25 से 30 रुपए मिल जाता है !! इस लिए कंपनिया हड्डियों का प्रयोग करती हैं !
इसके बाद गायकी ऊपर की जो चमड़ी है उसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है cricket के ball बनाने मे ! लाल रंग की ball होती है आज कल सफ़ेद रंग मे भी आती है ! जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है !गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग ज्यादा होता है ball बनाने मे ! दूसरी एक ball होती है foot ball ! cricket ball तो छोटी होती है ! पर foot ball बड़ी होती है इसमे और ज्यादा प्रयोग होता है गाय के चमड़े का !!
आजकल और एक उद्योग मे इस चमड़े का बहुत प्रयोग हो रहा है !जूते चप्पल बनाने मे ! अगर आप बाजार से कोई ऐसा जूता चप्पल खरीदते है ! जो चमड़े का है और बहुत ही soft है तो वो 100 % गाय के बछड़े के चमड़े का बना है ! और अगर hard है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का ! इसके इलवा चमड़े के प्रयोग पर्स ,बेल्ट जो बांधते है ! इसके इलवा आजकल सजावट के समान ने इन का प्रयोग किया जाता है !!
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तो गाय और गाय जैसे जानवरो आदि का कत्ल होता है ! तो 5 वस्तुए निकलती है !!
1) मांस निकला ------जो मांसाहारी लोग खाते है !
2)चर्बी का तेल ----जो cosmatic बनाने मे प्रयोग हुआ !
3) खून निकाला ------ जो अँग्रेजी एलोपेथी दवाइया ,चाय बनाने मे ! nailpolish lipstick मे !
4)हडडिया निकली ------ इसका प्रयोग toothpaste, tooth powder,shiving cream मे !aur टेलकम powder
5) चमड़ा निकला !------ इसका प्रयोग cricket ball,foot ball जूते, चप्पल, बैग ,belt आदि !
जैसा ऊपर बताया 35000 क्तलखाने है और 4 करोड़ गाय ,भैंस ,बछड़ा ,बकरी ,ऊंट आदि काटे जाते है ! तो इनसे जितना मांस उतपन होता है वो बिकता है ! चर्बी का तेल बिकता है !खून बिकता है हडडिया और चमड़ा बिकता है !! तो निकलने वाली इन पाँच वस्तुओ का भरपूर प्रयोग है और एक बहुत बड़ा बाजार है इस देश मे!!
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इसके इलवा गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग है ! उनका भी बहुत प्रयोग होता है !जैसे गाय मे बड़ी आंत होती है !! जैसे हमारे शरीर मे होती है ! वैसे ही गाय के शरीर मे होती है ! तो जब गाय को काटा जाता है ! तो बड़ी आंत अलग से निकाली जाती है ! और इसको पीस कर gelatin बनाई जाती है !जिसका बहुत जादा प्रयोग आइसक्रीम, चोकोलेट,आदि में होता है
इसके इलवा Maggi . Pizza , Burger , Hotdog , Chawmin के base material बनाने मे भरपूर होता है | और एक jelly आती red orange color की उसमे gelatin का बहुत प्रयोग होता है !!आजकल जिलेटिन का उपियोग साबूदाना में भी होने लगा है | जो हम उपवास मे खाते है !
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तो ये सब वस्तुओ जो जानवरो के कत्ल के बाद बनाई जाती है ! और हम जाने अनजाने मे इन का प्रयोग अपने जीवन मे कर रहे है ! और कुछ लोग आपने आपको १००% शाकाहारी कहते है. कहीं न कहीं इस मांस का प्रयोग कर रहे है ! और अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे है !
तो आप इन सबसे बचे ! और अपना धर्म भ्रष्ट होने से बचाये !एक बात हमेशा याद रखे की टीवी पर देखाये जाने वाले विज्ञापन को देख कर अपने घर मे कोई वस्तु न लाये ! इनमे ही सबसे बड़ा धोखा है !
जैसे चाकलेट का विगयापन आता है केडबरी nestle आदि !! coke pepsi का आता है ! fair and lovely आदि क्रीमे ! colgate closeup pepsodent आदि आदि toothpaste !!
तो आप अपने दिमाग से काम ले इन सब चीजों से बचे !! क्यूंकि विज्ञापन उनी वस्तुओ का दिखाया जाता है जिनमे कोई गुणबत्ता नहीं होती !! देशी गाय का घी बिना विज्ञापन के बिकता है नीम का दातुन बिना विज्ञापन के बिकता है गन्ने का रस बिना विज्ञापन के बिकता है !! विज्ञापन का सिद्धांत है गंजे आदमी को भी कंघा बेच दो !! एक ही बात को बार-बार,बार-बार दिखाकर आपका brain wash करना !! ताकि आप सुन सुन कर एक दिन उसे अपने घर मे उठा लाये !!
और हमे अब इस देश मे ऐसी सरकार लानी है जो पहला काम यही करे कि अंग्रेज़ो के समय से चल रहे ये सारे क्त्लखानों को बंद करने का बिल संसद मे लाये और इसे पास करे !!
yar..great info being provided..eye opener for many people..
ReplyDeletebut the fact is the medicines and other products are a necessity...
and the hinduism is all about way of living..so it should not matter much as far hinduism is concerned....u know hindu people from tripura eat beef and still are hindus...one can't bound these things on people...its for them to decide..
see the people of arunachal...many are hindus for the fact they pray forces of nature..but they are not willing to join hindu religion for the fact that it forbids beef...
so these things should not be accentuated..
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteI agree with the information provided by you but people cant avoid using toothpaste, shaving cream and many other things which r the essential part of the daily life. is using NEEM DATUN good option instead of using toothpaste? its difficult to provide DATUN to 120 million population daily u imagine how many trees wl destroy to full fill its requirement.
ReplyDeleteone more thing i want to include, people talk about globalization how can we achieve such concept when people r bounded in the name of DHARM N SANSKRTI.
@आशीष ...किसी महान दार्शनिक ने यह कहा था की रोटी कपडा और मकान, यह तीन मानव जीवन के मौलिक आवश्यकताएं हैं.मुझे लगता है की ईकिस्बी शताब्दी की भोगवादी जीवन शैली में जीवन की इस मूलभूत सिद्धांत अपना मूल्य खो बैठा है. किसीने सोचा भी नहीं होगा की रोजमर्रा के काम आनेवाली टूथपेस्ट और सेविंगक्रीम के आधार पर मानवीय जीवनशैली का मूल्यांकन होगा .मानव जीवन की शारीरिक, मानसिक,सामाजिक, अध्यात्मिक, बौद्धिक, विकास के लिए जिन चीजों की कतई आवश्यकता नहीं हैं, उसीको हो ही हम अपना जरुरत मान बैठे हैं. इस तरह की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारी कमजोरी बन चुकी है. और सबसे हास्यास्पद विषय यह है की इसीको हम आधुनिकता कहते हैं . मांस उत्पादन करनेवाली इन कत्लखानो का कितना भयंकर नकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है उसका सायद ही तूम अंदाजा लगा सकते हो. यह में नहीं कह रहा हूँ, हमारे भारत के एक बिशिस्ठ विज्ञानी राजेंद्र कुमार पौचोरी जी का कहना है .जो इस समय intergovernmental panel on climate change (IPCC) के अध्यक्ष हैं .और इस गवेषणात्मक शोध के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से पुरुस्कृत किया गया है. और एक बात तुम्हे बता दूँ की निम् का दांतुन इस्तेमाल करने से निम् का पेड नष्ट नहीं होता ....
ReplyDelete@आशीष...और बात भूमंडलीकरण की .. मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है, समाचार पत्र और इलेक्ट्रोनिक मिडिया के विज्ञापन और लेख को तूम अपना तर्क का आधार क्यों बना लेते हो ? यह भूमंडलीकरण (globalization), निजीकरण (privatization), और उदारीकरण (liberalization) को भली भांति जानने के लिए तुम्हे विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) समझोते को जानना बहुत जरुरी है. क्यों की यह तीन विश्व व्यापर संगठन का ही अंतिम दुष्परिणाम है. इस समझौते के अनुच्छेद १ ४ ५ २७ को जरुर पढ़ लेना. इसे पढ़ने के बाद विस्वाश हो जाएगा की जिस भूमंडलीकरण को इक्सवी सदी में आर्थिक प्रगति का एकमात्र कुंजी माना जाता है वो कुछ और नहीं बल्कि नव्यसाम्राज्यवाद का ही दूसरा रूप है, जिसके चलते तीसरी दुनिया के बहुत सारे देश कंगाली और भुकमरी के शिकार हो चुके हैं. बिकाऊ मिडिया जिसे विकाश का रास्ता बता रहा है असल में वो गुलामी का सुनहेरा डगर है ...
ReplyDeleteBhai alok it seems that, you have misconstrued the meaning of DHARMA.
ReplyDeleteधर्म की अपनी एक स्वतंत्र परिभाषा है. संस्कृत में ‘ध्रु’ धातु से यह शब्द निष्पन्न हुआ है. ध्रु का मतलब है धारण करना, और धर्म का अर्थ है धारण करने योग्य गुण... जिन गुणों को धारण करके मनुष्य मनुष्यत्व की अधिकारी होता है उसी को धर्म कहते हैं.हमरे शास्त्रों में धर्म के दस लक्षण दिए गए हैं . और इसमें सत्य और अहिंसा का स्थान सर्वोपरि है. जब इनमे विकृति मिल जाती है तो यह संप्रदाय बन जाती है . यह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई यह सारे के सारे संप्रदाय हैं, जिसके आधार पर समाज और राष्ट्र का बंटवारा होती है. में तो उस महान सनातन धर्म की बात कर रहा था जो मानव जीवन का आधार है और जिसका जिक्र शास्त्रों (वेदों) में किया गया है. चार वेदों में हिंदू नामके किसी भी धर्म का वर्णन नहीं है. कृपया मेरे इस लेख को सांप्रदायिक रंग देने का दुस्प्रयास मत करो. मेरा अभिप्राय सिर्फ सत्य को प्रस्तुत करना था नाकि सांप्रदायिक दुर्भावना पैदा करना..
bhai jitu....its better to be pro-religious but having prejudices towards other religions is not good..you can't ban the slaughter houses just because its hurting some religion's sentiments...
ReplyDeleteand regarding going to the VEDAS, its the same veda which differentiated our society into four VARNAS, the consequence of which we are facing still....rampant nature of casteism and religious fundamentalism are the evils of society...my point is follow the good things of a religion and avoid the bad part...
for better reference, watch movie--OH MY GOD..
i m expecting same from jittu..... i do not want much argument so i stop here but one thing people should know .
ReplyDelete@@@"""MRITY (dead) AUR MURKH APNE VICHAR KBHI NAHI BADLTE ANYATHA BADLAO TO PRAKRITI KA NIYAM HAI"""@@@
aur vaise v, when u accept some change from other first u have to change yourself"
धर्म और सम्प्रदाय दो अलग अलग विषय है . इन दो विषयों के बिच जमीन और आसमान का अंतर है. मुझे लगता है तूम अभी भी उसे समझ नहीं पाए. वैसे ही वर्णव्यवस्था और जातीप्रथा (casteism) में उतना ही अंतर है जितना की जमीन और आसमान में. वर्ण एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है “ ब्रुनोते इति सः वर्णः “ . जिसको स्वेच्छा से वरन किया जाता है उसको वर्ण कहते हैं . और इस वर्ण व्यबस्था का आधार कर्म पर टिका हुआ है ना की जन्म के आधार पर. जो जिस तरह का कर्म करता है इसके अनुसार उसका वर्ण तय होता है. दूसरी और जाती का मतलब है जात होना व उत्पन्न होना. जो जिस तरह से जन्म लेता है वही उसकी जाती बन जाती है. जो मनुष्य होके जन्म लेता है वो मनुष्य जाती से कहलाता है. भगवान के बनायी हुई इस व्यबस्था में कभी परिवर्तन नहीं हो सकता. लेकिन वर्ण कर्म के अनुसार परिवर्तन होता रहता है. इतिहास में ऐसे हजारों उदाहरण मिल जायेंगे जहाँ व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार वर्ण का परिवर्तन किया. यह वर्ण व्यवस्था कर्म का बिभाजन के लिए बनाया गया था नाकि समाज के बिभाजन के लिए. और यही वर्ण व्यवस्था ही हमारे समाज की रीड की हड्डी थी. जिसकी बुनियाद पर ही हमारे देश की आर्थिक, सामजिक और राजनैतिक विकाश का ढांचा खड़ा हुआ था, जिसके चलते भारत बिस्व्गुरु कहलाता था, और दुनिया के सारे सभ्यताओं का नेतृत्व किया था. अंग्रेज इस सत्य को भली भांति जानते थे. और भारत को गुलाम बनाने के लिए उन्होंने इस सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने की भरपूर कोशिश की, और अंत में सफल हुए. वेदों में वर्णित वर्णव्यवस्था को ही जातीप्रथा बनाकर समाज में उसका अपप्रचार किया, और भारतीय समाज में बिभाजन की लकीरें खीच ली .जो आगे चलके हमारे करोड़ों दलित भाइयों के लिए नाशुर बन गया. बड़ी दुःख और दुर्भाग्य की बात यह है की मेकोले शिक्षा पद्धती से निकले हुए हमारे युवा पीडी अंग्रेजों की इस बाक्य को ही अंतिम सत्य मान लिए. भारतीय सभ्यता, संस्कृति, परंपरा और शास्त्रों का अध्ययन करना तो दूर की बात उसे स्वीकार करने में भी संकोच करने लगे. पुरे विश्व को सत्य, अहिंसा और शांति का पाठ पढाने वाला यह भारत, आज गुलाबी क्रांति का दुहाई दे कर मासूम जन्वोरों की हत्या के सपक्ष में तर्क देना सुरु कर दिया है. दुनिया के किसी भी मजहब और संप्रदाय के संबिधान में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है, चाहें वो बाइबल हो यह गीता यह कुरान..फिर भी कुछ लोग कुतर्क करना सुरु कर देते हैं ....
ReplyDeleteJittu this is a very good information that you have collected and i appriciate it. But the thing is that there are a lot of things that is going on in this society like one you have mentioned here.
ReplyDeletethe point i want to put here is that there is no sence of doing this discussion here which will not conclude to any point. If you relly want to do something then you should tell what can we do from our side as an innitiative that will be good for the mankind and our upcomming generations.
These discussions are very helpful for the guys preparing for IAS . So if the intentions is to prepare for the group discussion and interviews that this is a good platform to put your points. keep it up guys......... :)